कुल गीत

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कुल गीत


जय जय काली प्रसाद, तेरी बलिहारी। !!

तेरे यश की महान, रश्मियाँ प्रकाशमान। !!

चारु चन्द्रिका समान, जीवन मनहारी

जय जय ..........................................

हिय में अति हर्ज़मान करती कर्तव्य ज्ञान।

तेरी शुभ कीर्तिमान भारती सुखारी।

जय जय ..........................................

अपने कुल की महान दुर्गति पर दया आन।

कर निज सर्वस्व दान महिमा विस्तारी।

जय जय ..........................................

हे प्रभो कृपा निधान देवलोक की महान।

आत्म में प्रदीप्तमान मानव तन धारी।

जय जय ..........................................